Wednesday, August 5, 2009

एक नया स्वाद जो हर पल रहेगा याद...!

आपको याद ही होगा कि थोड़े ही दिन पहले मैं ३ महीने का हुआ हूँ। मेरे ३ महिने के होने का और किसी को हो ना हो मुझे तो कम से कम एक फ़ायदा हो ही गया है कि अब मुझे फ़लों का रस, दाल का पानी, चावल का पानी वगैरह मिला करेगा :) ऐसा मैने सुना है मम्मा डैडू और आजी को बात करते हुए।

संयोग से मेरे मामा पुणे आने वाले थे मेरा मुँह झुठा करवाने के लिए (और अपने ऑफ़ीस के काम से भी)। अरे यार यह एक रस्म होती है, जिसे उष्टावण कहते हैं। जब मम्मा बता रही थी डैडू को तब मैं भी तो वहीं था, मैं तो तब से ही इंतजार कर रहा था मामा का, वह भी बड़ी बेसब्री से, क्योंकि मुझे तो ये सब चखना था ना! पता तो नहीं था कि ये सब क्या है? बस इतना पता चल चुका था कि यह मेरे लिये कुछ नया खाने-पीने की रस्म है।

हम लोग (यानि कि मम्मा-डैडू सुबह से इंतजार कर रहे थे - मैं तो 'सो' रहा था) आखिरकार मामा आ ही गये और मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा...। आप लोग बोलेंगे मुझे कैसे पता चला - अरे मुझे फ़टाफ़ट जगा दिया था ना। उनके आते ही घर में भगदड मच गयी थी..... इतनी जल्दी मचा रहे थे कि क्या बताऊँ...??!!?? मैं तो सिर्फ़ सबको इधर से उधर जाते हुए देख रहा था और सोच रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा हैं? फ़िर पता चला कि मामा को शायद किसी मीटिंग में जाना था और उन्हें देर हो रही थी।

फ़िर वो समय आ ही गया...! मुझे मम्मा ने मामा की गोदी में दिया, मामा ने एक हाथ से मुझे सम्हाला और दूसरे हाथ से एक चम्मच। फ़िर कटोरी में से कुछ भरा और आखिरकार वो चीज मेरे मुँह में आ ही गई। लाल लाल रंगा का कुछ था, पहले तो मुझे लगा कि कोई दवाई है। इसके पहले मैं दवाई का स्वाद ले चुका था ना। इसलिये पहले तो मुँह से ही निकाल दिया। मगर यह दवाई नहीं थी। मामा ने फ़िर से मेरे मुँह में भर दिया। कुछ खट्टा-सा, कुछ मीठा-सा, पता है वो क्या था? यिप्प्प्प्पी वो था अनार का रस! पर ये अनार क्या होता है? पर जो भी था मजेदार था। एक नया स्वाद जो हर पल रहेगा याद...!

खैर, इंतजार खत्म हुआ, और फ़िर तो जैसे सबको मौका ही चाहिये था। आजी, मम्मा, डैडू और यहाँ तक कि विदुला ताई तक ने मुझे रस पिलाया। पर बिल्कुल थोड़ा-थोड़ा। किसी को भी ऐसा नहीं लगा कि मुझे और पीने देना चाहिए और ऐसा भी नहीं था कि रस खत्म हो गया था। पर सब के सब कंजुस हैं ना। खैर, जाने भी दो अब। फ़िर मामा ने मेरे हाथ में एक कागज का टुकड़ा अटका दिया और मेरा ध्यान बँट गया। मैं उसे हिला हिला कर खुश हो रहा था। फ़िर उसके बाद एक छोटा सा फ़ोटो सैशन भी हुआ। सब लोगों ने मेरे साथ फ़ोटो खिंचवाए। देखो देखो आप लोग भी देखो।

और हाँ, जाने से पहले मम्मा और डैडू से जरुर कहना कि वो मुझे अनार का और रस पिलायें। बोलेंगे ना??

अब देखिये कुछ चुनिंदा फ़ोटो:

मामा के हाथ से रस पीते हुए
अब मम्मा के हाथों से

डैडू के हाथ से

आजी के हाथ से
और आखिर में विदुला ताई के हाथ से रस का मजा लेते हुए।




3 comments:

  1. सब के प्यारे बनो।

    रक्षाबंधन पर शुभकामनाएँ! विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!

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  2. ना जी.. बहुत जल्दी है बाबु.. समझदार कहते है कि पहले छः माह तक केवल स्तन पान.. और अगर ऊपरी आहार ले ही रहे हो तो बहुत ध्यान से.. सारे बर्तन उबाल कर.. अच्छे से..

    प्यार

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  3. बड़ी प्यारी-प्यारी फोटो...'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.

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